गाँव का नाम था – बेलापूर।
छोटा-सा कस्बा, खेतों के बीच बसे कुछ पक्के, कुछ कच्चे घर। इन्हीं घरों के बीच एक घर बन रहा था – मधुकर काका का नया मकान। उम्र लगभग 60, लेकिन जोश आज के युवा से कम नहीं। गाँव में 30 साल मिस्त्री का काम कर चुके थे, अब अपने आखिरी घर को "सपनों की छत" बनाना चाहते थे।
"ये छत ताजमहल जैसी मजबूत चाहिए!"
मधुकर काका अपने भतीजे राजू के साथ बैठकर प्लानिंग कर रहे थे।
राजू ने पूछा –
“काका, छत के लिए कौन सा सीमेंट अच्छा रहेगा? दुकान वाले ने PPC बताया, कोई OPC 53 बोल रहा था।”
काका ने गहरी सांस ली, छत की ओर देखा, और बोले –
“राजू, ये छत ताजमहल नहीं, पर उससे भी मजबूत चाहिए। और उसके लिए सही सीमेंट का चुनाव जानना जरूरी है। चल, बैठ। एक चाय और मैं तुझे पूरा पाठ पढ़ाता हूं – सीमेंट का!”
सीमेंट की कहानी – समझ आम भाषा में
काका ने कहा –
“देख बेटा, दीवार बनानी हो तो एक बात, लेकिन छत… वो तो पूरी जिंदगी की ढाल है। उसमें मज़बूती चाहिए, पानी रोकना चाहिए, दरारें नहीं आनी चाहिए। और इसके लिए सही सीमेंट चुनना सबसे पहला काम है।”
राजू ने पूछा –
“तो PPC अच्छा नहीं है क्या?”
PPC vs OPC – क्या फर्क है?
मधुकर काका ने मिट्टी से दो गोले बनाए और समझाया:
“PPC (Portland Pozzolana Cement) धीरे-धीरे सेट होता है, दीवारों, प्लास्टर के लिए बढ़िया है। लेकिन छत में हमें चाहिए ताक़त, जो जल्दी मिले – इसलिए वहाँ OPC (Ordinary Portland Cement) काम आता है।”
फिर कौन सा OPC लें? 43 या 53 ग्रेड?
काका बोले –
“छत की बात हो तो OPC 53 Grade Cement लो। ये जल्दी सेट होता है, स्ट्रेंथ ज्यादा देता है, और RCC स्लैब के लिए परफेक्ट होता है।”
राजू अब थोड़ा समझने लगा था –
“तो मतलब PPC दीवार के लिए और OPC 53 छत के लिए?”
काका बोले –
“सही पकड़ा है!”
RCC स्लैब में OPC का रोल
अब काका उसे छत की ढलाई दिखाने ले गए – मिक्सर चल रहा था, रॉड्स बिछे हुए थे।
“देख बेटा, यह जो कंक्रीट बन रहा है – इसमें सीमेंट, रेत, गिट्टी और पानी है। अगर OPC न हो तो ये जल्द सेट नहीं होगा, वाइब्रेटर से voids नहीं भरेंगे, और छत कमजोर रह जाएगी।”
सीमेंट ब्रांड्स जो भरोसेमंद हैं
राजू ने पूछा –
“काका, कौन सा ब्रांड अच्छा रहेगा?”
काका ने तुरंत जवाब दिया:
“मेरे अनुभव में ये टॉप ब्रांड्स हैं:
Ultratech OPC 53
Ambuja OPC 53
ACC OPC 53
Shree Cement (Bangur)
JK Lakshmi या Dalmia भी अच्छा है।”
“बस एक बात याद रख – ताजा सीमेंट लेना। और बोरियां जमीन से ऊपर सूखी जगह रखें।”
मिक्स रेशो भी जानना जरूरी है
काका ने एक स्लेट पर लिखकर समझाया:
“छत के लिए मिक्स रेशो होता है – 1:2:4
यानी –
1 भाग सीमेंट
2 भाग रेत
4 भाग गिट्टी
और पानी संतुलित – ज्यादा नहीं।”
“पानी ज़्यादा हो गया तो छत में दरारें आएंगी, और कम हो गया तो पूरा कंक्रीट ड्राई रहेगा।”
Curing यानी पानी डालना – 7 दिन बिना रुके
“छत ढल जाने के बाद रोज सुबह-शाम 7 दिन तक पानी डालो। ये नमी सीमेंट को ताक़त देती है।”
राजू ने मज़ाक में कहा –
“काका, सीमेंट भी क्या इंसान है जो पानी से जिंदा रहता है!”
काका मुस्कुराए –
“बिलकुल बेटा! बिना पानी के सीमेंट सिर्फ धूल है।”
गलत सीमेंट = कमजोर छत
काका ने अपना पुराना अनुभव बताया –
“2002 में एक ग्राहक ने PPC से छत डलवा ली, क्योंकि सस्ता था। 3 साल बाद पानी टपकने लगा, 5 साल में दरारें, और 7 साल में पूरी छत बदलवानी पड़ी।”
राजू की सीख – अब हर किसी को बताएगा
राजू अब तैयार था – उसने तय किया कि वह हर दोस्त को यह ज्ञान देगा:
“अगर छत बनानी है, तो सिर्फ OPC 53 Grade Cement ही लेना। मजबूत छत, मजबूत घर, और मजबूत जिंदगी।”
मजबूत छत की कुंजी
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छत के लिए OPC 53 ग्रेड सीमेंट ही लें
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Ultratech, Ambuja, ACC जैसे विश्वसनीय ब्रांड्स चुनें
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मिक्स रेशो सही रखें (1:2:4)
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curing अनिवार्य है
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PPC से छत बनाने से बचें
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